सीनियर सिटिज़न हेल्थ इन्श्योरेन्स:बढ़ती उम्र की ज़रूरतों को इन्श्योरेन्स कैसे समझाता है?
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अगर आपके माता-पिता की उम्र 65 साल से ज्यादा है और आप उनके लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना चाहते हैं, तो अब ये पूरी तरह मुमकिन है। IRDAI ने हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में अहम बदलाव करते हुए 65 साल की अधिकतम आयु सीमा को हटा दिया है। साथ ही किसी भी हॉस्पिटल में इलाज किया जा सकता है, चाहे वो कंपनी के नेटवर्क में ना हो। इसका मतलब है कि अब वरिष्ठ नागरिक भी किसी भी उम्र में नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं, जिससे उनके लिए मेडिकल सुरक्षा के रास्ते और आसान हो गए हैं।
चूंकि हर किसी को पेंशन या सेविंग्स का सहारा नहीं मिलता, ऐसे में एक चीज़ है जो इस अनिश्चितता में मदद कर सकती है सीनियर सिटीजन हेल्थ इंश्योरेंस प्लान।
बुज़ुर्गों की स्वास्थ्य ज़रूरतें
बुढ़ापा सच में दूसरा बचपन होता है। इस उम्र में बुजुर्गों को प्यार, सहारा और सबसे ज़्यादा देखभाल की जरूरत होती है। उम्र बढ़ने के साथ उनका स्वास्थ्य सबसे बड़ा मुद्दा बन जाता है। डायबिटीज, बीपी, गठिया जैसी बीमारियाँ आम हो जाती हैं, और नियमित दवाइयों व जांच की ज़रूरत होती है।
शारीरिक कमजोरी के साथ-साथ मानसिक थकान भी उन्हें परेशान करती है। अकेलापन, बच्चों से दूरी और सीमित मूवमेंट से चिड़चिड़ापन बढ़ता है, जो मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है। पोषण भी एक चुनौती बन जाता है, क्योंकि पाचन कमजोर हो जाता है और परहेज़ ज़रूरी हो जाता है।
साथ ही, याददाश्त का कमजोर होना, नींद की कमी, और स्वच्छता का ध्यान रखना इस उम्र में खास हो जाता है। सही खानपान, नियमित चेकअप, मानसिक सहयोग और हेल्थ इंश्योरेंस यही वो बुनियादी सहारे हैं, जो बुजुर्गों को इस पड़ाव पर सुकून दे सकते हैं।
सीनियर सिटीजन हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में किन बातों का ध्यान रखें?
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी की ज़रूरतें अलग होती है। इसलिए इंश्योरेंस प्लान कई तरह के होते है। सीनियर सिटीजन हेल्थ इंश्योरेंस आपको मेडिकल के खर्चों से राहत देते हैं साथ ही मानसिक शांति भी। लेकिन आपके लिए कौन सा प्लान सही है ये देखने के लिए बहुत से बातों का धन रखना पड़ता है जैसे-
- सम इन्शुर्ड- सीनियर सिटिज़न को बीमारी का खतरा ज्यादा होता है मतलब उनके हॉस्पिटल खर्च ज्यादा हो सकते हैं। इसलिए आपकी ज़रूरत के मुताबिक अपना सम इन्शुर्ड चुनें।
- प्री-एक्सिस्टिंग डिजीज कवर- कई लोगों को पहले से ही कुछ बीमारियाँ होती है जैसे डायबिटीज, आर्थराइटिस, आदि। अब ये देखना ज़रूरी होता है की आपके पसंद का प्लान इन्हें कवर करता है या नहीं।
- वेटिंग पीरियड- वेटिंग पीरियड मतलब इंश्योरेंस शुरू होने से पहले कुछ महीनों तक क्लेम नहीं किया जा सकता है। जितना हो सके उतना कम वेटिंग पीरियड वाला प्लान खरीदें ताकि इलाज में देरी ना हो।
- कैशलेस क्लेम सुविधा- ऐसी पॉलिसी का चुनाव करें जहां आपको कैशलेस सुविधा मिलें क्योंकि ऐसे वक़्त में पैसों के लिए भागदौड़ करना मुश्किल होता है।
- रिन्यूअल उम्र- जब पॉलिसी में लाइफ्टाइम रेनेवबिलिटी हो तो उसे बार बार रिन्यू करने की झंझट नहीं होती। इससे प्रीमियम भी नहीं बढ़ता और बिना किसी अड़चन के पॉलिसी शुरू रहती है।
- डे-कयर ट्रीटमेंट और होम हॉस्पिटलाइजेशन- इंश्योरेंस प्लान में हॉस्पिटलाइजेशन का खर्च कवर तो होता ही है लेकिन कई ऐसी इलाज होते हैं जब भर्ती होने की ज़रूरत नहीं पड़ती। इलाज घर में ही हो जाता है जैसे डायलिसिस इसलिए प्लान में ये ज़रूर देखें की क्या आपको ये सुविधा भी उपलब्ध है या नहीं।
- नो क्लेम बोनस (NCB)- जब आप पॉलिसी के दौरान क्लेम नहीं करते तो आपकी पॉलिसी में अगले साल कवरेज बढ़ जाता है।
- को-पेमेंट क्लॉज़- इसका मतलब है की आपको अपने मेडिकल खर्चों का कुछ हिस्सा पे करना पड़ेगा।
- कवरेज- पॉलिसी चुनते वक़्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आपका प्लान किस बीमारी को कवर नहीं कर रहा खासकर की प्री-एक्सिस्टिंग और हैरडिटरी डिजीज।
बुढ़ापा और स्वास्थ्य खर्च: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझिए
बस यूँही कहने के लिए नहीं कहा जाता की बुढ़ापे में हॉस्पिटल के खर्च बढ़ते है। इसके पीछे कई कारण है जैसे-
- बुढ़ापे में इम्यूनिटी कम होने लगती है जिसकी वजह से शरीर बीमारियों का शिकार हो जाता है।
- शरीर खाना ठीक से पचा नहीं पता इसलिए कमज़ोरी बनी रहती है।
- अकेलेपन की वजह से साइकोलॉजीकल प्रॉब्लम बढ़ते हैं। इससे दूसरी बीमारियाँ जन्म लेती है।
- 70% बुजुर्ग एक से ज़्यादा क्रोनिक डिज़ीज़ से पीड़ित होते हैं जैसे कि हृदय रोग और डायबिटीज।
- वे सभी दवाइयों पर निर्भर होते है।
- बुजुर्गों का दिमाग की नसें कमजोर होने लगती है।
- कुछ की हालत इतनी खराब होती है की उनके लिए एक नर्स या अटेंडेंट रखना ज़रूरी हो जाता है।
- आजकल हर इलाज में टेक्नॉलजी का इस्तेमाल होता है। ये सभी सुविधाएं महंगी होती है।
सीनियर सिटिज़न हेल्थ इन्श्योरेन्स के फ़ायदे
चूंकि हेल्थ का बिगड़ना अक्सर 60 की उम्र ही ज्यादा होता है इसलिए यही वो वक़्त हैं जहां आपको हेल्थ इन्श्योरेन्स की सबसे ज्यादा ज़रूरत है।
हॉस्पिटलाइजेशन का पूरा खर्च कवर होता है जैसे दवाइयाँ, इलाज, रूम रेंट, एम्बुलेंस, आदि।
- कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है।
- बहुत ज्यादा मेडिकल टेस्ट नहीं होते।
- लाइफ्टाइम रेनेवबिलिटी की सुविधा मिलती है।
- क्रिटिकल इलनेस का कवर मिलता है।
- किसी और पर निर्भर होने की ज़रूरत नहीं होती।
- धारा 80D के तहत टैक्स में छूट मिलती है।
सीनियर सिटिज़न के लिए इन्श्योरेन्स प्लान
गवर्नमेंट हेल्थ इंश्योरेंस प्लांस
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY - आयुष्मान भारत)- ये सरकारी योजना में 70 वर्ष या उसके ऊपर के सीनियर सिटिज़न भी अपने लिए अलग से हेल्थ इन्श्योरेन्स ले सकते हैं। इस योजना के तहत सालाना 5 लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज सरकारी और कुछ प्राइवेट अस्पतालों में लिया जा सकता है।
- वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना (Vayoshree Yojana)- महाराष्ट्र सरकार की वयोश्री योजना के तहत 65 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के लोग इसका फ़ायदा ले सकते हैं। 1 लाख तक का हॉस्पिटलाइजेशन का खर्च और 2 लाख का क्रिटिकल इलनेस कवर मिलता है। इसमें व्हीलचेयर, वॉकिंग स्टिक, चश्मा, कान की मशीन, जैसे सामान फ्री में मिलते हैं।
- न्यू इंडिया एश्योरेंस सीनियर सिटिजन मेडिक्लेम पॉलिसी- इसमें 60 से 80 वर्ष के सीनियर सिटिजन आसानी से पॉलिसी ले सकते हैं। इसके तहत 1 से 1.5 लाख का सम इन्शुर्ड होता है। पॉलिसी में अगर पति और पत्नी दोनों कवर हो रहे हो तो 10% की छूट मिलती है।
प्राइवेट प्लांस
Digit इंश्योरेंस प्लान- इस प्लान में उम्र की सीमा नहीं है साथ ही को पेमेंट की झंझट नहीं। सम इन्शुर्ड अगर कम पड़ जाए तो भी बिना रुकावट इलाज जारी रहता है।
HDFC ERGO- यह प्लान 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए है। नो-क्लेम बोनस, लाइफटाइम रिन्यूअल, डे-केयर ट्रीटमेंट जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
Tata AIG मेडीकेयर सीनियर- इसमें ₹2 लाख से लेकर ₹10 लाख तक बीमा कवर लिया जा सकता है। विदेश में इलाज के लिए भी कवर उपलब्ध होता है।
सीनियर सिटिज़न के लिए अच्छी सेहत राज़
जो बीमारी हो गई है उसका इलाज तो चलता रहेगा। लेकिन कई बार कुछ सावधानियाँ बरती जाए तो चीजें कंट्रोल में रहती है।
- रोज़ाना हल्की फुल्की वॉक और योग करने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है।
- इस उम्र में सादा और पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
- समय से हेल्थ चेकअप करवाएं ताकि बीमारियां जल्दी पकड़ी जा सकें।
- डॉक्टर की सलाह लेकर ही दवाई खाएं और फिर उन्हें स्किप ना करें।
- हर बात का तनाव लेकर ना बैठें।
- पूरी नींद लेनी ज़रूरी है।
- अपना पर्सनल हाइजीन बनाएं रखें।
- अगर शरीर में तकलीफ महसूस हो रही हो तो तुरंत अपनों से बात करें।
निष्कर्ष
हेल्थ इन्श्योरेन्स कोई फ़िज़ूल का खर्च नहीं बल्कि आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा है। ये आपको आत्म निर्भर बनाता है। इससे आपके अपनों का भी बोझ कम होता है। क्योंकि परिवार का एक सदस्य भी बीमार पड़ जाएं तो पूरे परिवार पर फ़ाइनेन्शियल, मेंटल और ईमोशनल असर पड़ता है। चिंता कम करें और अपनी सेहत का ख्याल रखें।