Satyug Main Kaun Bhagwan The? Dwapar Yug Main Kaun Bhagwan The?

 
Satyug Main Kaun Bhagwan The? Dwapar Yug Main Kaun Bhagwan The?

हिंदू धर्म में समय को चार युगों में विभाजित किया गया है: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। प्रत्येक युग की अपनी विशेषताएँ और महत्व हैं। इन युगों में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों का वर्णन मिलता है, जिन्होंने धर्म की स्थापना और दुष्टों का नाश किया। आइए जानते हैं कि सतयुग और द्वापरयुग में किन भगवानों का प्रादुर्भाव हुआ:

सतयुग:

सतयुग को 'कृतयुग' भी कहा जाता है, जो सभी युगों में प्रथम और सबसे पवित्र माना जाता है। इस युग में धर्म, सत्य, और नैतिकता का बोलबाला था। मनुष्यों की आयु लंबी होती थी और वे धार्मिक और सदाचारी जीवन व्यतीत करते थे। पाप और अधर्म का कोई स्थान नहीं था।

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सतयुग में भगवान विष्णु के निम्नलिखित अवतार हुए:

  • मत्स्य अवतार: इस अवतार में भगवान विष्णु ने मछली का रूप धारण करके मनु को जल प्रलय से बचाया था।
  • कूर्म अवतार: इस अवतार में भगवान विष्णु कछुए के रूप में प्रकट हुए थे और समुद्र मंथन में देवताओं की सहायता की थी।
  • वराह अवतार: इस अवतार में भगवान विष्णु ने वराह (सूअर) का रूप धारण करके पृथ्वी को पाताल से निकाला था।
  • नृसिंह अवतार: इस अवतार में भगवान विष्णु ने आधे मानव और आधे सिंह का रूप धारण करके हिरण्यकश्यपु नामक राक्षस का वध किया था।

इन अवतारों के अलावा, कुछ ग्रंथों में हयग्रीव अवतार का भी उल्लेख मिलता है, जिन्होंने वेदों को पुनः स्थापित किया था।

द्वापरयुग:

द्वापरयुग त्रेतायुग के बाद आता है। इस युग में धर्म का प्रभाव कम होने लगता है और पाप का अंश बढ़ने लगता है। इस युग में भगवान विष्णु का सबसे महत्वपूर्ण अवतार हुआ:

  • कृष्ण अवतार: भगवान कृष्ण विष्णु के पूर्ण अवतार माने जाते हैं। उन्होंने द्वापरयुग में कंस का वध किया, महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया, और धर्म की स्थापना की। उनकी लीलाएँ और उपदेश आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।

द्वापरयुग में भगवान विष्णु के अन्य अवतारों का भी वर्णन मिलता है, जैसे कि दत्तात्रेय, लेकिन कृष्ण अवतार का महत्व सबसे अधिक है।

निष्कर्ष:

सतयुग में भगवान विष्णु ने मत्स्य, कूर्म, वराह, और नृसिंह जैसे अवतार लेकर धर्म की रक्षा की, जबकि द्वापरयुग में उन्होंने कृष्ण के रूप में अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना की। इन अवतारों का उद्देश्य मानव जाति को धर्म के मार्ग पर चलाना और अधर्म का नाश करना था। ये कथाएँ हमें आज भी सत्य, धर्म, और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।